Fefdo Ki Safai Ke Liye Kon Si Dawa Sabse Achi Hai: फेफड़ों के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है: कैसे इलाज करें

फेफड़ों की सफाई के लिए घरेलू उपचार कौन से हैं?

Fefdo Ki Safai Ke Liye Kon Si Dawa Sabse Achi Hai
Fefdo Ki Safai Ke Liye Kon Si Dawa Sabse Achi Hai

 

तो आज बात करते हैं की Fefdo Ki Safai Ke Liye Kon Si Dawa Sabse Achi Hai? लेख की तो आगे बढकर जान लेते हैं और समज लेते हैं। हम लोग अपनी व्यस्त जीवनशैली में फेफडो की सेहत का ख्याल रखना भूल जाते हैं, जबकी फेफडो में होने वाला किसी भी तरह का संक्रमण आपको लंबे समय तक बिमार बना सकता हैं।
 
सर्दीयो का मौसम आते ही वातावरण में प्रदूषण बढणे से फेफडो से जुडी समस्याये जैसे की अस्थमा, खांसी आदी होने की संभावना बढ जाती हैं। ऐसे में यह बेहद जरुरी हैं की आप फेफडो की सेहत का ख्याल रखे और फेफडो को मजबूत बनाये रखने के लिए ही आपके इस फेफड़ों की सफाई के लिए कौन सी दवा सबसे अच्छी है? सवाल का जवाब हमने लेख में लिखा हैं।
 

फेफड़ों की सफाई के लिए सबसे बेस्ट दवा कौन सी है?

 

1. सोंठ

सौंठ याने की सुखा हुआ अदरक यह फेफडो में संक्रमण के कारण होनेवाली सुजन को कम करती हैं। सोंठ श्वसन नली को साफ रखकर श्वसन की प्रक्रिया को सुगम बनाने में मदद करती हैं। सोंठ गले की सूजन कम करके गले की खराश और खांसी में भी आराम देती हैं। सोंठ अपने शरीर की रोगप्रतिकारकक्षमता को बढाकर फेफडो को प्रभावित करनेवाले संक्रमणो को दूर रखने में मदद करती हैं।
 

2. हल्दी की चाय

करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला सबसे शक्तिशाली तत्व हैं और इसकी वजह से हल्दी का रंग पिला होता हैं। हल्दी में कुछ औषधीय और एंटीऑक्सीडेंट घटक शामिल हैं जिनमे से सुजन को रोकने की इसकी क्षमता हैं। इसके लिए आप हल्दी का पानी या चाय पी सकते हैं।
 

3. टमाटर

टमाटर में लाइकोपीन होता हैं जो एक कैरोटीनॉयड एंटी ऑक्सीडेंट हैं। यह आपके लंग्स को हेल्दी रखने में मदद करता हैं। कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी हैं की जीन लोगो को अस्थमा की समस्या हैं ओ टमाटर का सेवन करें। यह रोगीयो के वायुमार्ग की सूजन को कम करने में मदद करता हैं। 
 

4. हर्बल टी 

लंग्स में बलगम या कफ जमा हो या अस्थमा की समस्या हो तो हर्बल टी बहुत का आती हैं। आयुर्वेदिक जडी बुटीयो से बनी हर्बल टी पिने से उनकी गर्माहट से कफ या बलगम पतली हो जाती हैं और बाहर निकलने लगती हैं। अजवायन, तुलसी, काली मिर्च और अदरक के मिश्रण से बनी हर्बल टी अस्थमा के रोगीयो के लिए बेहतर उपाय हैं, क्यूकी यह कफ को जड से खत्म करती हैं।
 

5. मुलेठी

आयुर्वेद के अनुसार, मुलेठी अपने मिठे और थंडे गुणो के कारण श्वसनप्रणाली के संक्रमणो में अच्छे से राहत देती हैं। मुलेठी का उपयोग, सर्दी और खांसी जैसी कई श्वसन संबधी समस्याओ को दूर करने कर लिए किया जाता हैं। मुलेठी फेफडो और गले में जमा होनेवाले गाढे बलगम को पिघलाकर निकालके फेफडो को स्वस्थ रखती हैं। गले की खराश और खांसी में मुलेठी से आराम मिलता हैं।
 

6. शहद और लौंग

फेफडो को मजबूत बनाने के लिए लॉंग और शहद का मिश्रण एक परफेक्ट होम रेमेडी हैं। आप अस्थमा के लक्षणो से राहत पाने के लिए एक गिलास गर्म पानी और शहद के साथ लाँग चबा सकते हैं। यह क्रोनिक ब्रोन्कियटिस, लंग इंफेक्शन, बलगम और अस्थमा से पीडित लोगो के लिए बहुत मददगार हैं।
 

7. शहद और प्याज

एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच शहद और थोडा व्याज का रस और थोडी सी काली मिर्च मिलाकर पीए। ये लंग्स को साफ करेगी और कफ और बलगम को आसानी से पिघला देगी। इससे कंजेशन दूर होगा और सांस लेना आसान होगा।
 

8. ग्रीन टी

इस ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं इसमे एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण पाये जाते हैं जो लंग्स के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं। 
 

9. सरसों तेल की मसाज

सरसो के तेल में लहसून और अजवाईन मिलाकर पका ले और इसी तेल से सिने पर मालिश करें, इससे कफ पिघलने लगेगी। मालिश करने से फेफडो को गर्माहट मिलती हैं जिससे छाती में जमा कफ दूर होता हैं और सांस लेना आसान बनता हैं।
 

10. पिप्पली

पिप्पली फेफडो की सेहत के लिए बहुत उपयोगी और श्वसनप्रणाली के लिए अमृत जैसी लाभदायक औषधी हैं। आयुर्वेद के अनुसार पिप्पली का वर्धमान क्रम में याने दूध के साथ रोज एक एक बढाते हुए 15 दिन तक सेवन करके उसी क्रम में घटाना चाहिए। इससे शरीर की रोगप्रतिकारक्षमता बढती हैं, और पिप्पली का शहद के साथ इस्तेमाल करने से सर्दी और खांसी जैसी कई श्वसन संबधी समस्याये दूर होती हैं।
 

11. बिभीतकी

बिभीतकी याने की बेहडा यह जनमानस में प्रसिद्ध त्रिफला इस आयुर्वेदिक औषधी का एक घटक द्रव्य हैं। यह फल सुखी खासी, जुकाम और गले कज खराश में लाभदायक हैं। आयुर्वेद के अनुसार बिभीतकी सबगी प्रकार के खांसी और श्वसन प्रणाली के रोगो में लाभदायक हैं। यह गले की सुजन कम करता हैं और बढे हुए कफ को बाहर निकलकर श्वसनमार्ग के रोगो में आराम देता हैं।
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